
देहरादून । प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों के लिए शिक्षा विभाग ने नई नियमावली तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
नियमावली के अनुसार, यदि किसी शिक्षक के द्वारा पढ़ाए गए कक्षा 10वीं या 12वीं के छात्रों का बोर्ड परीक्षा परिणाम दो साल तक खराब रहता है, तो उसे अनिवार्य रूप से पर्वतीय क्षेत्र में भेजा जाएगा।
प्रदेश को नियमावली में दो भागों – पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में बांटा गया है। शिक्षकों के तबादले इन क्षेत्रों में दी गई सेवा के अंकों के आधार पर किए जाएंगे।
सेवा अवधि के दौरान शिक्षक को एक बार संवर्ग परिवर्तन की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि वह वर्तमान संवर्ग में कम से कम तीन साल की सेवा पूरी कर चुका हो।
एससीईआरटी, सीमैट, और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के तबादले भी इसी नियमावली के तहत तब तक किए जाएंगे जब तक इनके लिए अलग कैडर नहीं बनता।
अविवाहित महिला शिक्षक को विवाह के बाद पति के कार्यस्थल या गृह जिले में तबादले के लिए पूरे सेवाकाल में एक बार छूट दी जाएगी।
तबादला प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इसके लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जिससे पात्रता सूची तैयार की जाएगी और तबादले उसी के अनुसार किए जाएंगे।
प्रदेश के चार जिले – पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली और बागेश्वर उच्च पर्वतीय जिले माने जाएंगे। जबकि टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल, पौड़ी और देहरादून के पर्वतीय क्षेत्र निम्न पर्वतीय क्षेत्र माने जाएंगे।
कम से कम 16 अंक अर्जित करने वाले शिक्षक पर्वतीय से मैदानी या मैदानी से पर्वतीय क्षेत्र में अनिवार्य तबादले के पात्र होंगे।
तबादला प्रक्रिया हर वर्ष 1 जनवरी से शुरू होकर 31 मार्च तक पूरी की जाएगी।
पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र के उपक्षेत्रों में शिक्षक अधिकतम पांच वर्ष तक ही सेवा कर सकेंगे। नियमावली के किसी बिंदु पर व्यवहारिक समस्या आने पर विभाग या सरकार निर्णय लेगी।