
प्रीति नेगी
(देहरादून, उत्तराखण्ड)
उत्तराखंड की धरती ने प्राचीन काल से ही आध्यात्मिकता और संस्कृति की एक अनूठी छवि बनाई है, और आज यह राज्य ज्ञान और विज्ञान के फलक पर भी अपनी पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में 24वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, भारतीय सामाजिक विज्ञान संस्थान (IASSI) का उद्घाटन किया है, जो न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक और सामाजिक मील का पत्थर माना जा रहा है।
IASSI सम्मेलन सामाजिक विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन-मनन और नीति निर्माण के लिए एक मंच प्रदान करता है। यहां देश-विदेश के विद्वान, शोधकर्ता और नीति निर्माता सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय व सामाजिक न्याय से जुड़े विषयों पर गहन चर्चा करते हैं। उत्तराखंड जैसे पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र के लिए यह मंच विशेष महत्व रखता है जहां विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य है।
इस सम्मेलन का आयोजन राज्य को न केवल एक बौद्धिक केंद्र के रूप में स्थापित करता है, बल्कि सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया में सामाजिक विज्ञान के योगदान को भी मजबूत करता है। मुख्यमंत्री के सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट हुआ है कि राज्य प्रशासन में अनुसंधान आधारित नीतियां अपनाई जाएंगी, जो सतत विकास और समावेशी प्रगति के लिए ज़रूरी हैं।
कार्यक्रम में युवाओं को शोध क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के साथ-साथ स्थानीय शिक्षा संस्थानों की क्षमता बढ़ाने का भी अवसर मिलता है। इससे उत्तराखंड की शैक्षणिक और सांस्कृतिक नींव को व्यापक विस्तार मिलेगा और युवा वर्ग में सामाजिक विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी।
इसके अतिरिक्त, यह सम्मेलन राज्य में पर्यटन, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है। देश-विदेश से आए विशेषज्ञों और प्रतिभागियों के द्वारा यहाँ आदान-प्रदान की गई सूचनाएं और नवाचार आने वाले दिनों में राज्य की नीतियों में बदलाव कर समृद्धि लाने में मददगार सिद्ध होंगी।
हालांकि, इस सम्मेलन की सफलता तभी वास्तविक मानी जाएगी जब इसके विचार और नीतिगत सुझाव जनता के जीवन में बदलाव लाने का काम करें। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में इसका प्रभाव स्थायी हो, तभी राज्य का विकास हर दिशा में संतुलित होगा।
इस प्रकार, 24वां IASSI सम्मेलन उत्तराखंड के लिए ज्ञान और नीति के मेल का एक स्तम्भ है जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास को नई दिशा देगा। इसके माध्यम से उत्तराखंड अपने नागरिकों के कल्याण और सतत विकास के लिए पक्के कदम उठा रहा है।
विगत वर्षों में उत्तराखंड ने सामाजिक समावेशन, महिला और बाल विकास, वृद्धजन कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, और इस तरह के सम्मेलन से इन प्रयासों में और तेजी आएगी। आगे भी शिक्षा, अनुसंधान और नीति के इस सम्मिलन से उत्तराखंड न केवल हिमालयी राज्य बल्कि देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा।