
लखनऊ : में एक बुजुर्ग दलित व्यक्ति के साथ हुई अमानवीय घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। दिवाली के दिन लखनऊ के बाहरी इलाके में एक मंदिर के पास 60 वर्षीय रामपाल रावत के साथ अभद्र व्यवहार का मामला सामने आया है। आरोप है कि एक व्यक्ति ने उन पर मंदिर के पास पेशाब करने का आरोप लगाकर उन्हें जमीन चाटने के लिए मजबूर किया।
घटना सोमवार शाम काकोरी क्षेत्र में शीतला माता मंदिर के पास हुई। शिकायत में पीड़ित रामपाल रावत ने बताया कि वह मंदिर के पास पानी पी रहे थे, तभी स्वामी कांत उर्फ पम्मू नामक व्यक्ति ने उन पर पेशाब करने का आरोप लगाया। जब रामपाल ने सफाई दी कि उन्होंने पेशाब नहीं किया, सिर्फ पानी गिरा था, तब भी आरोपी ने उन पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और धमकाया।
रामपाल के पोते मुकेश कुमार ने बताया कि उनके दादा को सांस की समस्या है और दवाइयाँ न लेने पर उन्हें परेशानी होती है। सोमवार शाम खांसी आने के दौरान उनसे थोड़ा पेशाब निकल गया, जिसके बाद आरोपी वहां पहुंचा और उन्हें अपमानित किया। मुकेश ने कहा कि डर के कारण उनके दादा ने रात में किसी को कुछ नहीं बताया और अगले दिन परिवार को घटना की जानकारी दी। इसके बाद परिवार ने आरोपी के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने बताया कि स्वामी कांत उर्फ पम्मू के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 351(3) (आपराधिक धमकी), 352 (जानबूझकर अपमान करना) और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि यह जांच का विषय है कि बुजुर्ग को वास्तव में पेशाब चाटने के लिए मजबूर किया गया या सिर्फ छूने के लिए कहा गया था।
घटना के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि किसी की भूल का मतलब यह नहीं कि उसे अमानवीय सजा दी जाए। उन्होंने इसे समाज के नैतिक पतन का संकेत बताया। कांग्रेस ने भी इस घटना को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया। पार्टी ने अपने पोस्ट में लिखा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी में हुई यह घटना मानवता पर कलंक है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है और इस घटना को दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया। हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट किया है कि आरोपी का संघ से कोई संबंध नहीं है।
यह घटना न केवल सामाजिक संवेदनाओं को झकझोरने वाली है, बल्कि प्रदेश में जातीय भेदभाव और मानवता के मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पुलिस जांच जारी है और प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।