सहारनपुर : सहारनपुर में दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे पर हुए दिल दहला देने वाले हादसे ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया। हादसे के बाद जब ग्रामीण कार के ऊपर गिरी बजरी हटाने की कोशिश कर रहे थे, तब प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अंदर से कुछ धीमी आवाजें भी सुनाई दे रही थीं, जैसे कोई सिसक रहा हो। लेकिन जब तक जेसीबी मशीन की मदद से मलबा हटाया गया, तब तक कार में सवार सभी लोग दम तोड़ चुके थे। बताया गया कि उस समय तक कार चला रहे संदीप की सांसें चल रही थीं, लेकिन भारी बजरी के बोझ और देरी के कारण किसी की जान नहीं बच पाई।
कार संदीप अपने मामा के घर अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे और यह वही वाहन था जो हाल ही में उनके बड़े भाई प्रदीप की शादी में आया था। शुक्रवार सुबह करीब सवा नौ बजे सोना सैयद माजरा गांव के अंडरपास पर एक्सप्रेसवे की सर्विस रोड पर बजरी से लदा तेज रफ्तार डंपर अचानक अनियंत्रित होकर कार पर पलट गया। किसी को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। हादसा इतना भीषण था कि शवों को निकालने में एक घंटे से अधिक समय लग गया।
घटना के बाद जिले की पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह सक्रिय हो गई। एसपी सिटी व्योम बिंदल के निर्देशन में जिला अस्पताल में भारी पुलिस बल तैनात किया गया, जबकि घटनास्थल पर एसपी देहात सागर जैन, सीओ प्रथम, सीओ सदर के अलावा कई थानों का पुलिस बल मौजूद रहा। मंडलायुक्त डॉ. रूपेश कुमार, डीआईजी अभिषेक सिंह, डीएम मनीष बंसल और एसएसपी आशीष तिवारी ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया। डीएम ने एनएचएआई कर्मचारियों को फटकार लगाते हुए अंडरपास में बिजली की व्यवस्था और दोनों सर्विस रोड पर तुरंत ब्रेकर लगाने के निर्देश दिए ताकि भविष्य में हादसे टाले जा सकें।
इस त्रासदी में एक ही परिवार के सात सदस्यों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान संदीप सैनी (25), उनकी मां रानी (55), बहन जूली (27), जीजा शेखर (28), दो वर्षीय भांजा अनिरुद्ध, मौसेरा भाई विपिन (22) और प्रदीप के ससुर उमेश सिंह (55) के रूप में हुई है। सभी हरिद्वार के मोहद्दीपुर निवासी मामा के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। ग्रामीणों का आरोप है कि एक्सप्रेसवे पूरा होने के बावजूद ओवरब्रिज शुरू नहीं किए जा रहे हैं और एनएचएआई तथा जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ।
हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने एक्सप्रेसवे पर जाम लगा दिया जिसमें अधिकारियों, नेताओं और सैकड़ों वाहनों को करीब साढ़े तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा। पुलिस ने लाठी फटकार कर भीड़ को हटाया। सांसद इमरान मसूद, एमएलसी शाहनवाज अली, विधायक आशु मलिक और कई अन्य जनप्रतिनिधि घटना स्थल पर पहुंचे और भीड़ को समझाने का प्रयास किया।
घर के सात सदस्यों को खोने के बाद परिवार का हाल बेहद दर्दनाक है। मृतक संदीप के पिता महेंद्र सैनी सदमे में गुमसुम हैं। लोग उन्हें सांत्वना देने पहुंचते रहे लेकिन वे अवाक देखे गए। देर तक रोने के बाद उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनकी दुनिया उजड़ गई है—पत्नी, बेटा, बेटी और मासूम नाती एक साथ चले गए। उन्होंने सबसे ज्यादा चिंता नाती अभिनंदन की व्यक्त की, जो केवल पांच साल का है और जिसे शायद अभी यह भी नहीं पता कि उसके माता–पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।
हादसे के बाद शासन तक लगातार सूचनाएं भेजी गईं। मुख्यमंत्री ने भी घटना पर संज्ञान लेते हुए उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। ग्रामीणों ने जाम के दौरान पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने की मांग की। लम्बे इंतजार के बाद अधिकारियों की ओर से मृतकों को मुख्यमंत्री राहत कोष और वाहन के थर्ड पार्टी बीमा से लाभ दिलाने का आश्वासन दिए जाने पर जाम खत्म हुआ। सांसद इमरान मसूद ने भी परिजनों को भरोसा दिलाया कि सरकार से हरसंभव आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।
गागलहेड़ी का यह हादसा वर्ष 2025 का अब तक का सबसे बड़ा सड़क हादसा माना जा रहा है। इस घटना ने पूरे सहारनपुर और आसपास के क्षेत्रों में गहरा शोक और आक्रोश पैदा कर दिया है, और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा और निगरानी के बेहतर इंतजाम कब तक होंगे।
